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Saturday 23 April 2016

'दैनिक जागरण' के संगिनी कॉलम में चल रही है #100women achievers की चर्चा ....




  1.  रोशनी मुखर्जी और संगीता पुरी ....... 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' को हथियार बनाकर अंधविश्‍वास से जंग' लेख को पूरा पढने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें ...... http://epaper.jagran.com/…/09-apr-2016-edition-Dhanbad-City…
  2. शशि पुरवार और मोनिका भारद्वाज .... http://epaper.jagran.com/ePaperArticle/23-apr-2016-edition-Delhi-City-page_29-10085-4338-4.html
  3. स्‍वाति तिवारी , बबीता कुमारी और उलूपी झा .... http://epaper.jagran.com/ePaperArticle/23-apr-2016-edition-Delhi-City-page_31-10082-4338-4.html

Sunday 13 March 2016

श्रीमती शशि पुरवार : एक चुप सौ को हरावे



                 
                        शशि पुरवार का जन्म  इंदौर  (म. प्र.) में हुआ था एवं उनकी  शिक्षा इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से हुई. शशि गुप्ता  के  नाम से  पुराना  परिचय था जो  शादी के बाद शशि पुरवार की नयी पहचान के रूप में स्थापित हुआ।    
                    शशि पुरवार स्वाभाव से थोड़ी अंतर्मुखी  है, इसी कारण अपनी इच्छाओं व अधिकारों को कभी माँगना नहीं आया।  उनकी लड़ाई सदैव  रूढ़िवादी विचारधारा  रही है।   खासकर ऐसे लोगों से जो  महिलाओं के लिए संकीर्ण विचार  रखते थे. लड़कियों को पढ़ाकर क्या करेंगे उन्हें तो चूल्हा चौका ही संभालना है। बेटियाँ दूसरे घर की अमानत होती हैं शादी के लिए थोड़ा पढ़ाओ, इसी सोच के साथ परवरिश की जाती थी और यही अमानत ससुराल में परायी नार कहलाती है । उस वक़्त पढ़ी लिखी लड़कियाँ तेज मानी जाती थी जो परिवार नहीं संभाल सकती थी. लड़के लड़की में भेद कायम था. ऐसी परिस्थिति से कई बार  रूबरू होना पड़ता था। १२ वी  के बाद चुपचाप  नेवी की परीक्षा दी और  उसमे चयनित भी हुई, उस समय उस क्षेत्र में लड़कियां अपवाद ही थी और उन्हें उस अपवाद का हिस्सा बनने का  मौका भी नहीं  दिया गया। शिक्षा अपने अलग अलग रूप में आगे बढ़ती रही. शिक्षा में  उन्होंने बीएससी, एम एम और तीन वर्ष का हॉनर्स डिप्लोमा इन कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में किया।  पढाई के साथ साथ उन्होंने मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव के रूप कार्य  का अनुभव भी लिया, इसीलिए  नियमित कॉलेज  नहीं जाने के कारण एम एस सी  की जगह एम ए किया।   
         
            शशि पुरवार का  बचपन अपने नाना  के साथ व्यतीत हुआ था, उनके विचारों का उनके जीवन पर बहुत  प्रभाव पड़ा था. उनके विचारों से जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रही। वह कहती में  कि उनके नाना सदैव कहते थे कि एक चुप सौ को हरावे,  चुप रहने का तात्पर्य अन्याय सहना नहीं था अपितु  शांत रहकर भी अपने अधिकारों के लिए लड़ा जा सकता था।  जीवन को हँसते हुए हर परिस्थिति में जीना ही सीखा था। लड़ाई व्यक्ति विशेष से न होकर रूढ़िवादी विचारधारा व समाज से थी, सदैव यही प्रयास रहता था कि कभी न कभी इनमे बदलाव जरूर आएगा। रूढ़िवादी लोगों को बदलना इतना आसान नहीं होता है, वे अपनी मुख्य धारा से पृथक नहीं हो पाते हैं।  
                       १३ वर्ष की उम्र में  जीवन के रंगो को पन्नों पर उकेरना शुरू किया था, परिजनों को उनके लेखन के बारे में  ज्ञात नहीं था, किन्तु स्कूल  व कॉलेज में  उनके लेखन की सदैव  चर्चा  हुई। शिक्षा के समय वह अपने विचारों को वहां की पत्रिकाओं के माध्यम से अभिव्यक्त करती थीं. स्वाभाव से हँसमुख होने के  कारण उनकी गंभीर संवेदनात्मक अभिव्यक्ति ने शिक्षकों को सदैव आश्चर्यचकित किया। संवेदना के इस पहलू  से रूबरू होने के बाद उन्हें  सभी का बहुत आशीष मिला।  खेल ,नृत्य व एनसीसी के विशेष दल की  छात्रा होने के कारण  वह पहले से ही चर्चित थी. एक बार उनकी अंग्रेजी की अध्यापिका ने कहा था " shashi -- she will turn the table any time " . यह शब्द आज तक अंर्तात्मा में गूँजते है। उस  उम्र का जोश लोगों को  प्रेरित करता था. कई लोगों की प्रेरणा भी बनी जिनके स्नेह ने  उन्हें  आगे बढ़ने के  लिए प्रेरित भी किया।  लेखन एक हॉबी के रूप में शुरू हुआ था जो आज उनकी जिंदगी बन गया है।  उनकी साधना - पूजा है।

  

         

 
                             इसी संघर्ष में कई ऐसे रूढ़िवादी लोगों से सामना भी हुआ जिन्होंने अंग्रेजी झाड़ू, नयी हवा  वगैरह ऐसे नामों से  सुशोभित किया, एक बहु - बेटी की सीमा सिर्फ चार दीवारी के भीतर होती है. उनके विचारों का कोई मोल नहीं होता है। गृहणी के लिए लोगों  के मन में उतना सम्मान नहीं होता है।  लोगों को लगता है, गृहणीयाँ  कुछ नहीं करती है.  यह भाव हृदय  को कष्ट देता था।  शादी में  बाद पारिवारिक जिम्मेदारी के तहत  नौकरी नहीं की, कॅरिअर को भूलना पड़ा, किन्तु रूढ़िवादिता के खिलाफ संघर्ष चलता रहा. हिंदी भाषी होने कारण अहिन्दी भाषी लोगों के विचारों रूबरू हुई, और हिंदी में कार्य करने की दृढ़ इक्छा बलबती हो गयी। समाज में यह बदलाव लाना बेहद जरुरी  था।  लड़ाई आसान न थी,  कागज और कलम  अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बने। बेटियां या गृहणी चाहे तो बहुत कुछ कर सकती हैं। दृढ़ इक्छाशक्ति व सहनशीलता जीवन के हर संघर्ष में काम आई।

                   जीवन के इसी संघर्ष में एक पल ऐसा भी आया जब लड़ाई खुद से थी। शरीर ने मन से विरोध किया और  शरीर का नियंत्रण समाप्त हो गया. मन  सोचता कुछ था और  शरीर जबाब कुछ देता था, डाक्टरों ने अलग अलग नाम दिए, किसी ने ब्रेन स्ट्रोक कहा तो किसी ने स्पोंडोलिटिस तो कभी वर्टिगो, वगैरह वगैरह किन्तु  रिजल्ट शून्य था। जिंदगी जैसे दवा और मशीनों  के बीच सिमट गयी थी, वह पल बेहद अवसादकारी थे. अंत में यही निर्णय निकला कि जीवन ऐसे ही व्यतीत करना होगा। स्थिति कभी भी नियंत्रण से बाहर हो जाती थी, जीवन काटना नहीं था उसे जीना था, इसी जद्दोजहत में ३-४  वर्ष निकल गए,  ऊपर से सामान्य दिखने वाली बीमारी अंदर से भयावह थी, क्यूंकि मूल  कारण ज्ञात नहीं था।  ४ वर्ष तक पेपर नहीं पढ़ा, लिखना तो दूर की बात थी। समाचार पत्र की खबरें पतिदेव सुना देते थे, इस संघर्ष में उनके पति एवं बेटी के सहयोग से धीरे धीरे यह संघर्ष पार किया।  लेकिन उन पलों को पार करना जैसे एक एक दिन एक युग के समान बीत रहा था।  फिर चुपचाप पुनः कागज- कलम को अपना अभिन्न अंग बनाया. शब्दों को  पढ़ने  के लिए धूप चश्मे का सहारा लेना पड़ता था। शुरूआती दिनों  में स्वास्थ के  लिए  लिखने पढ़ने का विरोध भी सहना पड़ा  किन्तु उस समय मकसद बीमारी से विजय पाना था। अंतरजाल से भी जुडी थी वहां पर सक्रीय होने  के  लिए  धूप का चश्मा साथी बना, उस समय आँखों पर रौशनी भी सहन नहीं होती थी। जिंदगी जहाँ परिस्थिति  से जूझ  रही थी वहीँ दृढ़ इच्छाशक्ति  जीत रही थी। सामाजिक विसंगतियों ने मन  को सदैव व्यथित किया है, कलम विसंगतियों की परतें उधेड़ने  के पुनः तैयार थी।  अंतरजाल  पर पाठकों से सीधा संपर्क स्थापित से जुड़ने के बाद पाठकों का असीम स्नेह पुनः प्राप्त हुआ. हौसलों को पंख लगे और उस असीम स्नेह ने आज नया आसमान प्रदान किया है।  हिंदी में कार्य करते हुए कई सम्मान प्राप्त हुयें है।
                  विशेष   २०१५ में महिला बाल विकास मंत्रालय, भारत  द्वारा भारत की टॉप १०० महिला अचीवर्स में चयनित हुई। २२  जनवरी २०१६ को  राष्ट्रपति आ. प्रणव मुखर्जी  के साथ राष्ट्रपति भवन में दोपहर के भोज में  आमंत्रित व सम्मानित हुईं।  कर्म को अंततः आगे बढ़ने का नया मार्ग मिला है.


  --- शशि पुरवार (   लेखिका १०० वूमेन अचीवर्स ) 
परिचय --
 नाम ---  शशि पुरवार
जन्म तिथि    ----    २२ जून १९७३
जन्म स्थान   ---    इंदौर ( म.प्र.)
शिक्षा----  स्नातक उपाधि ---- बी. एस. सी.(विज्ञान )
             स्नातकोत्तर उपाधि -  एम.ए ( राजनीति  शास्त्र )
                   (देविअहिल्या विश्वविद्यालय,इंदौर )
  हानर्स  डिप्लोमा इन कंप्यूटर साफ्टवेयर (NIIT)
भाषा ज्ञान- हिंदी अंग्रेजी,मराठी
प्रकाशन  ------
 कई प्रतिष्ठित समाचारपत्र और पत्रिकाओं व साहित्यिक पत्रिकाओ, अंतरजाल  पत्रिकाओं में  रचनाओं नियमित प्रकाशन होता रहता है. कई साझा संग्रहों में शामिल है। नवगीत संग्रह, व अन्य २ संग्रह का  शीघ्र प्रकाशन
 सम्मान 
१ 
हिंदी विश्व संस्थान और कनाडा से प्रकाशित होने वाली प्रयास पत्रिका के सयुंक्त तत्वाधान में आयोजित देशभक्ति प्रतियोगिता में २०१३ की विजेता. सम्मान २०१३
२ अनहद  कृति काव्य प्रतिष्ठा सम्मान - २०१४ -२ ०१५
३) राष्ट्रभाषा सेवी सम्मान अकोला - २०१५
४ )  हिंदी विद्यापीठ भागलपुर से विद्यावाचस्पति सम्मान - २०१६
५ )मिनिस्ट्री ऑफ़ वूमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट द्वारा  भारत की टॉप १०० महिला  अचीवर्स का सम्मान २०१६।
 ६) माननीय प्रेजिडेंट  प्रणव मुखर्जी द्वारा २२ जनवरी २०१६ राष्ट्रपति भवन में विशेष भोज हेतु आमंत्रित और सम्मानित
 कहानी, कविता, लघुकथा, काव्य की अलग अलग विधाए - गीत, नवगीत,  दोहे, कुण्डलियाँ, गजल, छन्दमुक्त, तांका, चोका, माहिया, हाइकु , व्यंग और लेखों के माध्यमसे जीवन के बिभिन्न रंगों को उकेरना पसंद है. सपने नाम से एक ब्लॉग भी लिखती है.
bloghttp://sapne-shashi.blogspot.com

 संपर्क -
emailshashipurwar@gmail.com


Thursday 11 February 2016

डॉ सुजाता संजय : गरीबों की चिकित्‍सीय सुविधा के लिए समर्पण

डाॅ0 सुजाता संजय जिन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा सरकारी विद्यालयों में प्राप्त करते हुए एम.बी.बी.एस. शिक्षा एवं स्त्री एवम् प्रसूति रोग विषेषज्ञ की शिक्षा गजराज मेडिकल काॅलेज ग्वालियर से सम्पन्न की। डाॅ0 सुजाता संजय एक कुशल, सुयोग्य, उच्च कोटि की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं। वर्तमान में डाॅ0 सुजाता संजय, देहरादून स्थित संजय आॅर्थोपीडिक स्पाइन एवं मैटरनिटी सेन्टर में समर्पित भाव से कार्य कर रही है।
डाॅ0 सुजाता संजय की संक्षिप्त उपलब्धियाॅ निम्न प्रकार से हैः-
डाॅ0 सुजाता संजय ने आज हमारे प्रदेश देवभूमि उत्तराखंड का नाम पूरे राष्ट्र में गौरान्वित किया। डाॅ0 सुजाता संजय को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार 100 वीमेन आॅफ इंडिया अवार्ड से राष्ट्रपति मा0 श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा सम्मानित किया गया। डाॅ0 सुजाता संजय कीे यह पुरस्कार उनकी निःस्वार्थ चिकित्सा एवं समाज सेवा के उल्लेखनीय कार्यो के लिए दिया गया। डाॅ0 सुजाता संजय ने यह अपनी अल्प आयु में ही कीर्तिमान हासिल किया जिसकी वजह से उत्तराखंड राज्य का नाम गौरान्वित हुआ। 
आगरा में 17 जनवरी 2016 को श्पद्मश्री कमला बाई होस्पिटश् अवार्डश् से सम्मानित किया गया। डाॅ0 सुजाता संजय के निःस्वार्थ भाव से सामाजिक एवं चिकित्सा के क्षेत्र में दूरस्थ क्षेत्रों स्कूलों, काॅलेजों एवं गर्भवती महिलाओं के लिये किये गये जन-जागरूकता व्याखान, मातृत्व से सम्बधित जानकारी एवं निःषुल्क चिकित्सा के लिए यह सम्मान मिला। उन्हें यह अवार्ड सुप्रवाह गंगा यात्रा के तहत बेस्ट बंगाल, झारखंड, उत्तरप्रदेष, बिहार एवं उत्तराखंड के चिकित्सकों में से डाॅ0 सुजाता संजय के उत्कृश्ट सामाजिक एवं चिकित्सा के कार्यो के लिए उन्हें इन पांच राज्यों में से चुना गया। 

सितम्बर 2015 डाॅ0 सुजाता संजय को श्उत्तराखण्ड गौरवश् स्त्री रोग विशेषज्ञा एवं शल्य चिकित्सा के रूप में देहरादून शहर को लगातार सेवाऐं उपलब्ध करवाने के उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया। यह सम्मान ले.ज. से.नि. के.के.खन्ना ;पूर्व कमान्डेन्ट आई.एम.ए.द्धदेहरादून, डाॅ0 एस. फारूक समाजसेवी एवं मा0 श्री अशोक वर्मा राज्य मंत्री उत्तराखंड द्वारा अंलकृत किया गया।

दि0 1 जुलाई 2015 को चिकित्सा के क्षेत्र में डाॅ0 सुजाता संजय को देवभूमि उत्तराखण्ड के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्री माननीय श्री सुरेन्द्र सिहं नेगी जी  द्वारा श्विशिष्ट चिकित्सक सम्मानश् से सम्मानित किया गया।  

देवभूमि उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत जी द्वारा डाॅ0 सुजाता संजय को चिकित्सा के क्षेत्र में “इंदिरा गाॅधी नेशनल अवार्ड” से सम्मानित किया गया।  

29 मार्च 2015 को चिकित्सा के क्षेत्र में डाॅ0 सुजाता संजय को माननीय डाॅ0 हरक सिंह रावत, मंत्री शिक्षा, चिकित्सा एवं सैनिक कल्याण,उत्तरखण्ड द्वारा सम्मानित किया गया।  

डाॅ0 सुजाता संजय को श्ठमेज व्इेजमजतपबपंद - ळलदंबवसवहपेज पद क्मीतंकनदश् के सम्मान से श्री अनिल के.शास्त्री (पूर्व वित मंत्री, भारत सरकार) एवं श्रीमती सुधा यादव (पूर्व सांसद) के द्वारा सम्मानित किया गया।  

उत्तराखंड की प्रथम स्त्री एवं प्रसूति रोग विषेशज्ञा जिन्होंने गुर्दा प्रत्यारोपित गर्भवती महिला का सफल आॅपरेशन कर नवजात शिशु को जीवन प्रदान किया। इस कीर्तिमान को देश-विदेश के समाचार पत्रों में बहुत सराहना हुई।

दि0 3 मई 2015 को सामाजिक कार्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में किये गये कार्यो के लिये डाॅ0 सुजाता संजय को पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला मा0 अध्यक्ष सांस्कृतिक एवं मेला प्रधिकरण मसूरी द्वारा श्मसूरी रत्नश् अलंकरण से नवाजा गया।

दि0 13 जून 2015 को चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान के लिए डाॅ0 सुजाता संजय को माननीय प्रीतम सिंह पॅवार, मंत्री शहरी एवं विकास, मन्त्री उत्तराखण्ड द्वारा सम्मानित किया गया।  

दि01 जुलाई 2014 चिकित्सा दिवस के अवसर पर डाॅ0 सुजाता को चिकित्सा के क्षेत्र में माननीय श्री दिनेश अग्रवाल मंत्री (उत्तराखंड ) द्वारा सम्मानित किया गया। 

दि0 7 अप्रैल 2014 विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर चिकित्सा के क्षेत्र में डाॅ0 सुजाता को श्री हरबंस कपूर मा0 विधायक एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष (उत्तराखंड) द्वारा सम्मानित किया गया। 

9 फरवरी 2014 को चिकित्सा के क्षेत्र में डाॅ0 सुजाता संजय को सम्माननीय श्री गणेश जोशी, विधायक मसूरी (उत्तराखंड) द्वारा सम्मानित किया गया। 

डाॅ0 सुजाता संजय, जिन्होंनें छः वर्षो के अल्पकाल में निःशुल्क स्वास्थ्य परामर्श शिविर द्वारा 5000 ;पाॅच हजारद्ध से भी अधिक महिलाओं को परामर्श व उपचार किया। डाॅ0 सुजाता के इस निःस्वार्थ भाव के काम को प्रदेश की महिलाओं एवं वरिष्ठ लोगों ने भी सराहा है। अभी तक इनके द्वारा 185 से भी अधिक निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन प्रदेश के ग्रामीण एवं आस-पास क्षेत्रों में किये गये है। भविष्य में उन्होंने उत्तराखंड के प्रत्येक जनपदों के कुछ गाॅव में अपनी स्वास्थ्य सेवाऐं देने का संकल्प किया है। 

डाॅ. सुजाता संजय की उपलब्धियों तथा मानव समाज की निःस्वार्थ भाव से विशिष्ट सेवा करने के गुणों को प्रदेश तथा देश के नागरिकों, समाचार पत्रों, रेडियो तथा टी.वी. ने भी सराहा है। इनके 12 से भी अधिक प्रोग्राम दूरदर्शन टी.वी. चैनल में प्रस्तुत किये जा चुके है। जिसका मुख्य लक्ष्य महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरुक कराना है।

स्त्री रोगों से सम्बन्धित कार्यक्रम आॅल इंडिया रेडियो ;।प्त्द्धए थ्डए लोकल चैनल में प्रसारित होतेे है। इनके द्वारा थ्ड रेडियो चैनल में महिलाओं के स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यक्रम प्रत्येक सप्ताह प्रसारित किये जाते है। अभी तक इनके द्वारा 50 से भी अधिक प्रोग्राम प्रसारित किये जा चुके है।

डाॅ. सुजाता संजय द्वारा 200 से भी अधिक स्वास्थ्य सम्बन्धी स्त्रियों एवं बच्चों से सम्बन्धित स्वास्थ्य समस्याओं के ऊपर लेख समाचार पत्रों में छापेे जा चुके है।

डाॅ. सुजाता संजय द्वारा साप्ताहिक त्मबनततमदज च्तमहदंदबल सवेे बसपदपब जिसमें की महिलाओं को निःशुल्क गर्भपात ;डपेबंततपंहमद्ध के बचाव एवं सुझाव बताये जाते है।

डाॅ0 सुजाता संजय वर्तमान में सोसाइटी फार हेल्थ, ऐजूकेशन एण्ड वूमैन इमपावरमेन्ट एवेयरनेश (सेवा) एन.जी.ओ. के माध्यम से सेवा का कार्य कर रही है। जिसमें किशोरियों व गर्भवती महिलाओं को निःशुल्क परामर्श एवं  स्वास्थ्य के प्रति जानकारी देती है ताकि वे स्वस्थ परिवार का निर्माण कर सकें। 

डाॅ. सुजाता संजय के अस्पताल द्वारा एक स्वास्थ्य मासिक समाचार-पत्र (हैल्थ पोस्ट) का प्रकाशन नियमित  किया जाता है जो स्त्रियों एवं गर्भवती महिलाओं को निशुल्क जन-जागरणार्थ उपलब्ध करवाया जाता है। 

रोटरी क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम सरवाकल कैंसर के दौरान मुख्य वक्ता  डाॅ0 सुजाता संजय ने महिलाओं को जागरूक किया। 

डाॅ0 सुजाता संजय द्वारा समाज में महिलाओं एवं बालिकाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने हेतु जन जागरूकता अभियान के तहत विभिन्न बीमारियाॅ जैसेः मासिक धर्म, स्तनपान, मीनोपोज़, सरवाइकल कैंसर, पी.सी.ओ.डी. एवं हाईजीन के बारे में बताया जाता है। 

Wednesday 10 February 2016

श्रीमती सुमिति “ एक संकल्प ”


श्रीमती सुमिति मित्तल प्रथम शिक्षा की संस्थापक एवं ट्रस्टी है और पिछले11 सालो से इसका सुचारू रूप से संचालन कर रही है | प्रथम शिक्षा एक जयपुर (राजस्थान) आधारित धर्मार्थ संगठन है जो राजधानी के स्लम क्षेत्रों में रहने वाले गरीब और वंचित बच्चो को मुफ्त मे बुनियादी शिक्षा प्रदान करता है | विद्यालय में सुबह की नियमित शिफ्ट के अलावा, फ्लेक्सी समय में प्राथमिक और उच्च विद्यालय के लिए कक्षाएं आयोजित की जाती हैं ।


इंजीनियर्स के एक परिवार में जन्मी श्रीमती सुमिति प्रारंभ से ही एक मेघावी छात्रा थी और कम उम्र में ही इनका झुकाव इंजीनियरिंग की ओर हो गया था | पिताजी ने हमेशा पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए इन्हें प्रेरित कियाउनका मानना ​​है कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जो आप दुनिया को बदलने के लिए प्रयोग कर सकते हो | इनकी माताजी जो कि परिवार का आधार स्तंभ है ने हमेशा इनको ईमानदारी, आजादी, सम्मान, समानता , दुसरो के प्रति संवेदनशीलता और मानवीय मूल्यों से आत्मसात कराया | सुमिति ने एम बी एम इंजीनियरिंग कॉलेज, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया |आर पी एस सी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इनका चयन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में सहायक अभियंता के पद पर हुआ | यहाँ लगभग दो साल तक विभाग मे मन लगाकर काम किया लेकिन तकनीक के लिए इनका जुनून मन के भीतर फूट पड़ा और इन्होने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया|
एक विदेश यात्रा के दौरान अमेरिका में विचार आया कि विकसित देशों मे जब गरीब और आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चे विशेषाधिकार के तहत स्कूल जा रहे और शिक्षा प्राप्त कर रहे है, लेकिन ऐसा भारत में नहीं ? इस बात ने सुमिति को काफी प्रभावित किया और प्रथम शिक्षा शुरू करने के लिए इन्होने दृड़ संकल्प लिया |

प्रथम शिक्षा की नीव घर के एक हिस्से “गैराज” में रखी गई , धीरे-धीरे एक नन्हा पौधा पेड़ बना | गैराज से शुरू हुआ स्कूल, अब आठवी तक सरकारी मान्यता प्राप्त एवं अन्य सुविधाओं के साथ एक विकसित स्कूल बन चूका है | अब सम्पूर्ण विद्यालय के छात्रों के लिए वाहन की सुविधा के साथ –साथ कंप्यूटर लैब भी विद्यालय के आकर्षण का केंद्र है | श्रीमती सुमिति के अनुसार अब तक यहाँ 2500से अधिक छात्रों को शिक्षित किया गया है और आगामी सत्र में स्कूल का विस्तार 10 वीं कक्षा तक करने का लक्ष्य रखा गया है | स्कूल में लड़के ,लडकियों उनकी माँ, बहनों और भाइयो के लिए कई व्यावसायिक पाठ्यक्रम जैसे बिजली मिस्त्री , पाइपलाइन और सिलाई कड़ाई चलाये जा रहे है | ये पाठ्यक्रम बच्चो के जीवन कौशल को आगे बडाने,खुद के लिए एक आजीविका कमाने में सहायक होंगे यह अभियान हमारे “स्किल इंडिया मिशन” का भी हिस्सा है |


जयपुर शहर , अच्छी तरह से अपने गहने और कालीन उद्योग के लिए जाना जाता है और बाल श्रम के लिए भारी मांग भी पैदा करता है। बच्चों को उनके परिवारों के लिए एक आजीविका कमाने के लिए इन उद्योगों से होने वाली अपनी छोटी सी आय से बड़ा लालच है । लड़के हेल्पर के रूप में अपने माता पिता की मदद करते है या खुद के लिए एक अलग नौकरी की तलाश करते है - दूसरी तरफ लड़कियों की कम उम्र में शादी कर दी जाती है या उन्हें दैनिक घर के काम-काज में माँ की मदद करनी पड़ती है | वे अन्य लोगों के घरों में काम करती है और घर पर छोटे भाई- बहन का ख्याल रखती है । इन जिम्मेदारियों के साथ , अध्ययन और कुछ पाने की प्रेरणा वे आधे रास्ते में ही भूल जाती है और कई बार वे बुनियादी योग्यता जो स्कूल में सीखी है उसको भी भूल जाती है | यही एक मुख्य कारण है जिसकी वजह से लड़के और लडकियों को प्राइमरी स्कूल के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ती है , इन्ही बातों को ध्यान में रखकर प्रथम शिक्षा ने फ्लेक्सी टाइम कक्षाएं शुरू की है | यह एक अग्रणी अभ्यास है जो छात्रों को मिली नौकरी और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के साथ अपनी शिक्षा जारी रखने में मदद करता है | इसके अलावा प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू की गई है जो कम उम्र से ही स्कूल के वातावरण के अनुसार बच्चो को ढालने का प्रयास कर रही है |


फ्लेक्सी टाइम कक्षाएंलगाने से कई छात्रों को लाभ हुआ है | उदाहरण के लिए, कुछ छात्र दिन के दौरान सड़कों पर खाने की ठेला गाड़ी लगाते है और दौपहर मे खाली समय के दौरान अध्ययन करते हैं। स्कूल भी उनको आगे की पढ़ाई जारी रखने में मदद करता है और वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है |










अकादमी स्कूल लंदन और प्रथम शिक्षा जयपुर दोनों दोस्त हैं और वैश्विक पर्यावरण के लिए अपने विचार एक दूसरे को शेयर कर रहे हैं । श्रीमती सुमिति भी हर साल लंदन यात्रा के दौरान अकादमी स्कूल में छात्रों के लिए “बुनियादी परिचयात्मक”विषय पर सेशन लेती है |


सामाजिक विकास में योगदान के लिए के लिए प्रथम शिक्षा को एनजीओ श्रेणीके तहत - मान्यता दी गई है और उत्कृष्टता कार्य के लिए “ मेक इन इंडिया 2015 “ पुरस्कार से भी नवाज़ा गया है ।


सुमिति मित्तल ने रोबो गैलेक्सी की भी स्थापना की है यह एकएक ई - लर्निंग पोर्टल और रोबोट प्रयोगशाला है जो कक्षा 3 से कक्षा 10 तक के बच्चो के लिए है | इसके अलावा श्रीमती मित्तल प्रथम सॉफ्टवेयर की सह संस्थापक और निर्देशक है , प्रथम सॉफ्टवेयर एक जयपुर आधारित ग्लोबल आईटी सर्विस कंपनी है जो सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, आईटी कन्सलटिंग ,आईटी परामर्श और आउटसोर्सिंके का काम करती है । 


उन्होंने “वी-टेकनॉश” को स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है , यह ग्लोबल आईटी ट्रेनिंग सर्विस कम्पनी है और सॉफ्टवेयर ट्रेनिंग और डेवलपमेंट पर काफी ध्यान देती है । वी- टेकनॉश अपने विशेषज्ञ प्रशिक्षकों के माध्यम से एक ऐसा वास्तविक अनुभव प्रदान करती है जो हमारे लिए बहुत जरुरी है ।


सुमिति सक्रिय रूप से उद्योग - शिक्षा संस्थानों और जयपुर के विभिन्न कॉलेजों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेती है एवंकॉर्पोरेट संस्कृति और आईटी उद्योग में उभरते रुझान के बारे में छात्रों के बात करती है | वह अंतर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स सम्मेलन मेव्याख्यान दे चुकी है जो 2014 में रूस मे हुआ था |


व्यापक रूप से एक प्रख्यात वक्ता के तौर पर वह कई सामाजिक मंच को सम्बोधित कर चुकी है | वह “मेंटरिंग वाक ग्रुप ” से भी जुडी हुई है और चर्चाके माध्यम से उनकी निजी और प्रोफेशनलजीवन में आनेवालीपरेशानीयोंको दूर करने में मदद करती है | वह फिक्की महिला संगठन( एफएलओ ), जयपुर चैप्टरकोभी अपनी सेवाए दे चुकी है |


श्रीमती सुमिति मित्तल को सामाजिक,महिला व बाल शिक्षा, तकनिकी विस्तार में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए विभिन्न पुरुस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है |






1) महिला एवं बाल विभाग द्वारा भारत की टॉप100 महिलाओं में चुनना |


2) 22 जनवरी2016 को राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में सम्मानित और दोपहर के भोजन पर आमंत्रित |


३) सामाजिक विकास में योगदान के लिए के लिए प्रथम शिक्षा को एनजीओ श्रेणीके तहत - मान्यता दी गई और उत्कृष्टता कार्य के लिए गुजरात के राज्पाल श्री कलराज मिश्र द्वारा सम्मानित किया गया


4) राजस्थान की शीर्ष 100 सफल महिलाओं में शामिल, एनजीओ “तम्मना” द्वारा “ तमन्ना उड़ान की ” अवार्ड से सम्मानित |


5) समाज के प्रति इनके उत्कृष्ट योगदान के लिए महिला दिवस पर महापौर ज्योति खंडेलवाल द्वारा सम्मानित |


6) राजस्थान युवा छात्र संस्थान और नेहरू युवा केन्द्र द्वारा " विवेकानंद सम्मान " से सम्मानित।








श्रीमती साधना शर्मा : 'बेटी पढ़ाओ' और कम्प्यूटर प्रशिक्षण

मै मुलत: रायपुर की निवासी हूँ। अपने परिवार में २ बहन और एक भाई में मै सबसे बड़ी हूँ और घर की हालत बहुत अच्छी नही थी मेरी पढ़ाई कभी दादी कभी बुआ के घर और कभी ताई जी के घर हुई । पढ़ाई तो पहले शादी के लिये की जाती थी कोई अपना सपना नही होता था बस पिता भाई के अनुसार चलते थे। इसी कड़ी में मेरी शादी २० वर्ष की उम्र में हुई तब मात्र B.Sc. (Bio) थी और शादी के बाद बाल्को कोरबा में रहने लगी। ससुराल में पर्दा प्रथा था और थोड़े पुराने ख़्याल के थे, ससुराल का बिल्कुल भी सहयोग नही मिला पर सब का आदर करते हुए मैंने शादी के १० साल के बाद पढ़ाई फिर से शुरु की बच्चों को स्कूल भेज कर पति को आफ़िस भेज कर कम्प्यूटर की पढ़ाई ९० की दशक में शुरु की ।शादी के १० साल के बाद फिर से कम्प्यूटर की पढ़ाई को शुरु करना वह भी बाक़ी ज़िम्मेदारी को निभाते हुए बहुत ही मुश्किल काम था पर नामुमकिन नही था ।इस तरह से पढ़ाई जारी रही लोगों के ताने बाने भी चलती रही। इन सब बातों का मुझ पर नही हुआ कोई असर मै अपना काम करती रही और वे सब अपना ।
इस बीच एक एजेंसी को कम्प्यूटर टीचर की आवश्यकता थी वे मुझे सम्पर्क किये फिर एक कम्प्यूटर दिये और दो स्कूल में पढ़ाना था । हफ़्ते में दो दिन कम्प्यूटर को रिक्शे में ले कर स्कूल जाती और पढ़ा कर वापस कम्प्यूटर को ले कर आती । इस तरह पढ़ना और पढ़ाना जारी रहा । फिर घर के एक छोटे से कमरे में १२ लड़कियों और एक कम्प्यूटर लोन में ले कर क्लास शुरु की मात्र १५० रु महीने का फ़ीस लेकर । इस तरह अपने को और आगे बढ़ाते हुए PGDCPA का कोर्स करने कोरबा जाती जो कि १५ किलोमीटर दूर था कोर्स करते हुए क्लास लेते हुए मार्केट में एक दुकान किराये में लेकर कम्प्यूटर क्लास १९९३ में शुरु की, बाल्को एक छोटी जगह और कम्प्यूटर नया कोर्स होने के कारण बच्चे admission लेने लगे । शटर बंद करने से लेकर क्लास लेने तक का काम अकेली करती फिर धीरे से मेरे द्वारा पढ़ाये विद्धर्थियों ने मेरे यहॉ शिक्षक नियुक्त हुए इस तरह उन्हें रोज़गार मिला । घर के सारे काम बच्चों को पढ़ाना खाना बनाना पढ़ना सब साथ साथ चला।
अब मेरे काम को आगे बढ़ाते हुए ७ स्कूल में कम्प्यूटर के क्लासेस लगाने लगी और ७ टीचर भी रख ली और अब कम्प्यूटर भी सभी स्कूल में लगा लिये। इस तरह से अपने काम को अंजाम देते रहे और इस आदिवासी बाहुल जैसे क्षेत्र में भी कम्प्यूटर की पढ़ाई होने लगी। और ' कम्प्यूटर मैडम' के नाम से जानने लगी। यहॉ के बच्चे छत्तीसगढ़ी बोली जानते थे तो उनको छत्तीसगढ़ी में भी पढ़ाते थे। फिर उनके लिये हिन्दी में पुस्तक भी लिखे ताकि वे आसानी से कम्प्यूटर को सीख सके । ms office , c++ ,Internet , foxpro, tally, VB.net , fundamental , operating system में पुस्तकें हिन्दी में लिखी हूँ । २२ सालों में लगभग १०००० छात्र छात्रायें कम्प्यूटर सीख चुके है जिनमें ७०% छात्रायें ज्ञान अर्जित किये है। कुछ छात्र ज़िला पंचायत, जनपद, स्कूल, देश के कोने कोने में और विदेशों में भी कार्यरत है उन में से कुछ मुझे कहते थे कि आप भी यहॉ विदेश में आज़ाइये पर मैंने उन्हें कहा कि तुम जैसे और बच्चों को तैयार करुंगी और विदेशों और देश में भेजूँगी । मुझे भारत के विकास में योगदान करने का मौक़ा मिला है। हम चाहते है कि कोरबा छत्तीसगढ का नाम देश विदेश में भी रोशन हो।
डिग्रियाँ
• B.Sc. Bio 1983
• PGDCPA 1992-93
• Students के साथ PGDCAका paper दी -1998
• फिर MSc IT -2004-05
• M.Phil (CS) - Jan 2008-Dec 2008
• MBA Major IT Minor HR -2009-2011
• Phd के लिये registered
कार्य
• इस बीच corporate sector में training दी Balco NTPC Audit office Secl SBI नगर निगम के employees को training दी ।
• Collectorate के १२३ employees को free computer training दी ।
• आज से १० साल पहले 'बेटी पढ़ाओ' की सोच को आगे बढ़ाते हुए ५० बच्चियों को भर्ती कराये जो कि slam area की बच्चियॉ थी। आज सभी बच्चे १०वीं पहुँच गयी है।
• उन बच्चों का निःशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण गरमी की छुट्टी में दिया जाता है।
• वाल्मिकी आश्रम के बच्चों को निःशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया गया फिर आश्रम को संस्था द्वारा एक कम्प्यूटर दान किया गया।
• जो बच्चे फ़ीस के कारण नही पढ़ते उनका फ़ीस भी संस्था द्वारा दिया जाता है।
• दिव्यांश बच्चों को भी कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया जाता है।
• दोंदरो गॉव में एक कम्प्यूटर दान किया गया ।
• ज़िला पंचायत में प्रशिक्षण दिया
• जनपद में प्रशिक्षण दिये
• DUDA (District Urban Development Authority)के विद्धर्थियों को प्रशिक्षण
• PMKVY के विद्धर्थियों को प्रशिक्षण
• वृद्धाश्रम को समय समय पर सहयोग करना
• कुआँभट्टा के बच्चों को आवश्यकतानुसार सहयोग करना
उपलब्धियाँ
• वेदांशी सम्मान और १००००/- २०११ में
• नेशनल सेमीनार गलर्स कालेज रायपुर-२०१२ में
• शक्ति विप्र छत्तीसगढ़ महिला मंडल - २०१५ में
• स्वच्छ भारत में योगदान में उत्कृष्ट पुरस्कार - २०१६ में
• राष्ट्रपति के हाथो सम्मानित - २२ जनवरी २०१६ में
उसके बाद सम्मान का सिलसिला चल रहा है। 
नाम : साधना शर्मा
दादा जी : श्री माधव प्रसाद तिवारी वक़ील
दादी जी : श्रीमती रुक्मणी तिवारी
पिता का नाम : श्री बालकृष्ण तिवारी
माता का नाम : श्रीमती सुलोचना तिवारी
नाना का नाम : श्री कालिका प्रसाद पांडे
नानी का नाम : श्रीमती झरना पांडे
भाई: संजय तिवारी छोटा भाई navy
बहन: स्व सुपर्णा गौण छोटी बहन
जन्म तिथि : २५.९.१९६२
विवाह की तिथि : १५.५.१९८३
पति : श्री भूपेन्द्र शर्मा
बेटा : सौभिक शर्मा (बी.ई. मैकेनिकल एम.बी.ए.)
जॉब : Hilti swiss company in banglore
बहू : नुपूर (बी.ई. सी.एस.)
जॉब : cognizant banglore
बेटी : सुरभि शर्मा (बी.डी.एस.)
जॉब : researcher in California (U.S.A.)
दामाद : सचिन (IIT Hydrabad)
जॉब : Walt Disney in California

Contact number: 9826541219
Facebook: www.facebook.comm/Sadhana sharma
Tweet: @sharmamlc
webpage: mlcit.webs.com



Monday 8 February 2016

श्रीमती मोनिका पुरोहित : मूक बधिर बच्चों के शिक्षण प्रशिक्षण व् पुनर्वास का कार्य


इंदौर में जन्मी  और  स्थापित  मोनिका  की कहानी  किसी फ़िल्मी कथा में सुपर हीरो की एंट्री की तरह है। सन् 2000  में  अखबार में मेट्रोमोनियल साईट पर भोपाल के ज्ञानेंद्र पुरोहित  ने विज्ञापन दिया की ऐसी लड़की जो मूक और बधिर लोगो के लिए सोशल वर्क करने की  इच्छुक हो  केवल वही अपना बायो डेटा भेजे।  ज्ञानेंद्र पुरोहित  के बड़े भाई मूक बधिर थे और उनकी एक दुर्घटना में मृत्यु के कारण ज्ञानेंद्र व्यथित थे।  मोनिका ने ज्ञानेंद्र के जीवन में प्रवेश इसी उददेश के साथ लिया की उनको अब  सारा जीवन मूक बधिरों की सेवा व सहायता करते हुए बिताना है। लोगो ने मोनिका को ताने मारे की वो अच्छी खासी HR की पोस्ट छोड़कर गूंगे बहरो के बीच अपना जीवन बर्बाद करना चाहती हैं।  मोनिका ने बिना  किसी बात पर विचलित हुए  मूक बधिर विषय पर  B ed  व  M ed  कर लिया और सन्  2000 में  पति द्वारा स्थापित "आनंद सर्विस सोसाइटी"   में इन लोगो के लिए कार्य करना पारम्भ कर दिया।  मोनिका मूक व बधिरों को शिक्षित करने का कार्य करने लगीं।  
                      2006  में  एक 17  बर्षीय मूक बधिर युवती के 3 वर्षीय पुत्र की उसकी गोद में ही हत्या कर दी गयी।  युवती बेहद डरी हुई व व्यथित थी इस घटना ने मोनिका को हिलाकर रख दिया।  मोनिका ने उस युवती और पुलिस के बीच ट्रांसलेटर का काम किया और न्याय पाने में उसकी सहायता की। इसके साथ ही मोनिका ने अपने पति के साथ मिलकर  इंदौर में भारत के पहले " एम पी  मूक  बधिर  पोलिस केंद्र " की स्थापना की और पोलिस कोर्ट व मूक बधिरों  के बीच   एक ट्रांसलेटर की तरह कार्य करना आरम्भ कर दिया।   मध्य प्रदेशमें इस केंद्र के हेल्प  लाइन सेंटर स्थापित होने लगे। मोनिका की एक छोटी सी पहल ने बड़ा रूप ले लिया और जल्दी ही लगभग 356  केस रजिस्टर्ड हुए।  भारत के लगभग ७८ लाख मूक और बधिर इस सेवा के आरम्भ होते ही लाभान्वित होने लगे।  मोनिका को कोर्ट ने व पोलिस ने "साइलेंट लेंगुएज एक्सपर्ट " के रूप में अडॉप्ट कर लिया और सम्प्पूर्ण भारत से उनको पोलिस व कानून की मूक बधिर मामलो से सम्बंधित  कार्रवाहियों में  सहायता के लिए बुलाया जाने लगा।  मोनिका के पति ज्ञानेंद्र ने कोर्ट कचहरी के मामलो में स्वयं को सशक्त बनाने के लिए वकालत कर डाली और मोनिका अब अपने पति  की सहायता से मूक बधिर लोगो के केस भी लड़ने लगीं । मूक बधिर लड़कियों के गेंग रेप जैसे मामलो में बहुत बार जान की धमकी मिलने पर भी मोनिका पीछे नहीं हटीं और उनको न्याय दिलवाया।  
             
2010 में मोनिका ने अलीराजपुर से 65 मूक बधिर ढूंढ निकाले जिस जिले की  लिट्रेसी मात्र 21% थी। अब मोनिका का उद्देश्य  मूक बधिरों की सहायता करना व उनको शिक्षा देना नहीं रह गया था बल्कि वो इन लोगो को समाज में स्थापित भी कर देना चाहती थी।  इसलिए उन्होंने भारत सरकार के सामने अन्य भाषाओँ की तरह "साइलेंट साइन लेंगुएज " को भी आधिकारिक तोर पर भारत की अन्य भाषाओँ में शामिल किये जाने की पहल की।  उन्होंने वंदे मातरम " राष्ट्रीय गीत को साइन लेंगुएज में मूक व बधिरों के लिए कम्पोज़ किय। साथ ही राष्ट्रीय गीत "जन गन मन " को भी अपने पति श्री ज्ञानेंद्र के साथ मिलकर कमोज किया और प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया।  अमिताभ बच्चन ने एक टीवी शो में स्वयं आगे आकर मोनिका व उनके प्रयासों को सराहा और मोनिका के कार्यो से प्रेरणा  पाकर मूक बधिरों  की साइलेंट लैंग्वेज में उनके लिए गीत प्रस्तुत किया।  हर साल मोनिका की आनंद संस्था मूक व बधिर लोगो का एक परिचय  सम्मेलन  आयोजित करवाती है जो अंधे, मूक व बधिरों को सामान्य वैवाहिक जीवन जीने के लिए   प्रेरित करती है।  
              2016  में मोनिका के भागीरथी प्रयासों  को  राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया और मोनिका भारत की प्रथम 100 सशकत महिलाओं में शामिल की गईं।  समाज से व सम्पूर्ण राष्ट्र से उनके  कार्यो को ढेर सारे सम्मान  व पुरस्कार प्राप्त हुए  . मोनिका आज भारत  के इन मूक बधिर नागरिकों को उनका सम्मान और पहचान दे देने के  लिए अनवरत कार्य कर रहीं हैं।  जो कभी मोनिका व उनके प्रयासों का मज़ाक बनते थे आज मोनिका को एक सितारा बनकर चमकते हुए देख रहे हैं।




Sunday 7 February 2016

Ms. Paro (Areena Khan) -- राजस्थान की पहली हाॅकर बालिका


पिताजी के गुजर जाने के बाद का संघर्ष
 मैं पारो (अरीना ख़ान) मेरे परिवार में 7 बहनें जिसमें2 बहनों की शादी हो गई एवं 2 भाई और मेरी अम्मी है। 8 साल की थी तब पिताजी का साया सिर से उठ गया था तब मैं पांचवी क्लास में पढा करती थी पिताजी अखबार बांटने का कार्य करते थे। तबीयत खराब होने के कारण उनके साथ साईकिल पर धक्का लगाती हुई जाया करती थी तब पता नही था जो काम मैं खेल समझ कर कर रही हूॅ वो ही कार्य मेरी जिन्दगी का एक हिस्सा बन जायेगा। पापा के गुजर जाने के बाद से अब 14 साल हो गये तब से अखबार बांटने का कार्य कर रही हूॅ। बचपन कब गुजर गया पता ही नही चला।

अखबार बांटने तथा पढाई का संघर्ष
  सुबह 5 बजे अन्धेरे में उठकर अखबार खरीदना, बांटना, आवारा कुत्तो का भोंकना सर्दी, गर्मी, बरसात कभी छुट्टी नही करना काफी मुष्किल होता है। काम के साथ साथ मेने पढाई भी जारी रखी अखबार बांटने के बाद 8 बजे स्कूल जाया करती थी, देरी से स्कूल पहुचनें पर डांट भी पडती थी देर से जाने का सिलसिला सातवी क्लास चक चला फिर मुझे उस Government स्कूल ने मुझे स्कूल से टी.सी. दे कर निकाल दिया, दर दर एडमिशन के लिये भटकती रही लेकिन किसी ने मुझे सहयोग नही किया तब मैने रहमानी माॅडल सीनियर सै0 स्कूल में अपनी परेषानी बताई और देर से स्कूल आने की अनुमति मांगी तब जा कर उन्होने मुझे देर से आने के लिये अनुमति दी। इस संघर्ष के साथ मैने 12वी क्लास कम्पलीट की।

9वी क्लास से जाॅब का संघर्ष
  जब मैं 9वी क्लास में आयी तो पढाई का खर्चा सताने लगा ऐसे में मेने हिम्मत नही हारी, अखबार बांटने के बाद स्कूल जाने के साथ साथ मैं शाम को हाॅस्पिटल में पार्ट टाईम (नर्स) कार्य शुरू किया। मैने 3 साल तक रामा हाॅस्पिटल एवं गंगापोल हाॅस्पिटल में काम किया जिससे मेरा और छोटी बहन का पढाई का खर्चा निकलता था। स्कूल का होमवर्क भी मैं हाॅस्पिटल में ही किया करती थी।

12वी क्लास के बाद फुलटाइम जाॅब एवं पढाईः-
12वी क्लास के बाद महारानी काॅलेज से प्राईवेट पढाई की और साथ में फुलटाइम जाॅब शुरू कर दी ,
1. ढेर साल तक Genpact india pvt. Ltd. (BPO) sitapura में कार्य किया इसके बाद मैने
2. पंत कृषि भवन, अषोक नगर, जयपुर, में 1 वर्ष बतौर कम्प्यूटर आॅपरेटर कार्य किया
3. वर्तमान में राजस्थान के व्यापारियों एवं उद्योगपतियों की शीर्षस्थ संस्था फैडरेषन आॅफ राजस्थान ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्री में कार्यरत हूं। सुभाष चैक स्थित पन्नीगरो के रास्ते से निकल कर एक नयी मिसाल कायम करने में जुटी हूॅ।

समाज के सवाल व तानेः-
जब में छोटी थी तब लोगो को इतना अजीब नही लगता था जैसे-जैसे मैं बडी होने लगी लोगो की निगाहें चुभने लगी लोग ताने कसने शुरू कर दिये बाते बनाने लगे, कुछ मनचले लडके कभी पेपर वाली कह कर चिढाते तो कभी टिप्पणी करते, ऐसे में मैने पूरी हिम्मत के साथ उनका मुंहतोड जवाब दिया तो कभी पिटाई भी की।

आकर्षन का केन्द्रः-
राजस्थान की पहली हाॅकर बालिका के रूप में कार्य करते हुये जब कोई मुझे देखता है तो मानो मुझसे ज्यादा आष्र्चय चकित कुछ हो ही नही बार बार पलट कर देखना तो कभी साथी को भी मुझे दिखाने का इषारा करना, कभी कोई रास्ते में ही मुझे रोक कर सवाल करने लगते, आप पेपर बांटती हो, कब से, क्यों, पढाई भी करती हो जैसे सवालो का सामना करना पढता है।

बेटी होने पर गर्व
मुझे खुषी है मैं अपने परिवार की बेटी हूॅ, जो सम्मान मुझे बेटी होने पर मिला अगर मेैं बेटा होती तो शायद वो मान-सम्मान समाज में नही मिल पाता मेरे इस काम ने मुझे एक अलग पहचान दी है आज भी जब मुझे इतने बडे लोगो के द्वारा सम्मानित किया जाता है तो वो पल मेरी जिन्दगी का यादगार पल बन जाता है।

पुरस्कार एवं सम्मानित
1. 2010 मंे श्री राजीव अरोडा, फैडरेशन आॅफ राजस्थान एक्सपोर्ट अध्यक्ष, एवं श्री
   मनीष भण्डारी उच्च न्यायालय के न्यायाधीष द्वारा बहादुरी अवार्ड प्राप्त किया।

2. महिला दिवस 08.03.2013 के अवसर पर पूर्व महापौर श्रीमती ज्यौति खण्डेलवाल, श्री अरूण चतुर्वेदी एवं श्री बृजकिषोर जी शर्मा द्वारा साफा, सर्टिफिकेट, एवं गुलपोषी कर सम्मानित ।

3. दिल्ली में 10.08.2015 को देश की पहली आईपीएस श्रीमती किरन बैदी द्वारा अब के बरस मोहे बिटिया ही किजो बहादुरी अवार्ड एवं गुजरात की मुख्यमन्त्री श्रीमती आनन्दी बैन पटेल, श्रीमती मेनका गांधी एवं श्रीमती शालू जिन्दल से खास मुलाकात।

4. दिनांक 05.10.2015 आॅल इण्डिया वेलफेयर सोसायटी की और ‘‘कुरजा’’ सम्मान समारोह में केद्रीय केबिनेट मन्त्री श्री जुगल ओरम और सामाजिक एवं अधिकारिता मन्त्री श्री अरूण चतुर्वेदी द्वारा ‘‘बेटी-सृष्टि रत्न’’ से सम्मानित ।

5. नवरात्रा के अवसर पर 11.10.2015 को एफएम 95 तडका आर.जे सचिन के साथ एवं रेड एफएम 93.5 आर.जे उपासना के साथ नारी शक्ति पर विषेष इन्टव्यू

6. हाल ही (भारत सरकार) केन्द्रिय महिला एवं बाल विकास विभाग की और से देश की श्रेष्ठ 100 शक्तिशाली महिलाओ में शामिल व 22 जनवरी 2016 को राष्ट्रपति भवन में माननीय श्री प्रणव मुखर्जी (राष्ट्रपति) द्वारा सभ्मानित व

7. 26 जनवरी 2016 गणतन्त्र दिवस समारोह पर विषिष्ठ अतिथि के रूप मे शामिल किया गया।

8. 31-01-2016 को राजस्थान युवा संस्था एवं नेहरू युवा संगठन जयपुर की और से "विवेकानन्द गौरव " से सम्मानित |

नाम - पारो (अरीना खान)
उम्र - 23 वर्ष
षिक्षा- बी.ए फाइनल
पता - 3113, पन्नीगरो का रास्ता, सुभाष चैक , जयपुर , राज0
मोबाईल - 9829559241 / 7877761370




Saturday 6 February 2016

Astrologer Sangita puri

Astrologer Sangita puri




मैं, संगीता पुरी , अपने पिता श्री विद्या सागर म‍हथा जी के द्वारा विकसित की गई ज्‍योतिष की नवीनतम वैज्ञानिक शाखा ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ के रिसर्च के जन-जन तक प्रचार प्रसार के लिए 30 वर्षों से निरंतर काम कर रही हूं , जिससे लोगों के जीवन शैली को सुधारकर बेहतर समाज की स्‍थापना की जा सकती है।

Basics in Astrology 


1. विषयवस्‍तु में प्रवेश .... प्राचीन काल से ही लोग भूत के अनुभवों और वर्तमान की वास्‍तविकताओ के साथ भविष्‍य का भी पूर्वानुमान लगाकर काम करते आ रहे हैं। आसमान से उन्‍हें कुछ देर बाद होने वाले सूर्योदय और सूर्यास्‍त , ऋतु परिवर्तन , अमावस और पूर्णिमा जैसी बहुत सारी सूचनाएं मिलती थीं, आसमान में फैले धूल तूफान और धुआं आग के फैलने की जानकारी देते थे। कालांतर में आसमान के ग्रहों नक्षत्रो के पृथ्‍वी पर पडनेवाले प्रभाव को देखते हुए ज्‍योतिष का विकास किया गया। वास्‍तव में, हर घटना का ग्रहों से तालमेल होता है, इसमें शोध की असीमित संभावनाएं हैं।

Limitations in Astrology


2. ‘ज्‍योतिष’ के विकास में आयी बाधाएं .... पर कुछ गणितज्ञ अपने गणित की गति से , कुछ जादूगर अपने जादू से , कुछ तांत्रिक अपने तंत्र मंत्र से, कुछ कर्मकांडी अचूक कर्मकांडों से लोगों को भ्रमित कर ज्‍योतिष के क्षेत्र में भी अपना सिक्‍का चलाना चाहते हैं। इसके अलावे सदियों से चले आ रहे जन किंवदंतियों को भी ज्‍योतिष में जोड दिया गया है। सबका घालमेल होने से ही लोगों को यह ज्ञात नहीं हो पाता कि ज्‍योतिष भविष्‍य के बारे में अनुमान में और समय समय पर निर्णय लेने में उनकी बहुत मदद कर सकता है।

Latest research in Astrology 


3. ज्‍योतिष के क्षेत्र में नई खोज और इसकी चर्चा परिचर्चा .... 3. ज्‍योतिष के क्षेत्र में नई खोज और इसकी चर्चा परिचर्चा .... मेरे पिताजी श्री विद्या सागर महथा जी ने ज्‍योतिष के क्षेत्र में अपने रिसर्च के बाद इससे जुडे अंधविश्‍वास को दूर और इसके विज्ञान को विकसित करते हुए ज्‍योतिष की एक नई शाखा ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ को जन्‍म दिया है, जो किसी के जन्‍म विवरण मात्र से उसके पूरे जीवन के परिस्थितियों के उतार चढाव का ग्राफ खींचकर उसके बारे में सटीक भविष्‍यवाणियां कर सकता है। मैने दिल्ली से प्रकाशित होनेवाली पत्रिका ‘बाबाजी’ के 1994-1995-1996 के विभिन्न अंकों में तथा ज्योतिष धाम के कई अंकों में , पुस्तक ‘गत्यात्मक दशा पद्धति: ग्रहों का प्रभाव’ में ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ की चर्चा की है।

Life-graph in Astrology




Programs in Astrology



4. सामाजिक कार्यक्रम ... इस रहस्‍य के उजागर होने के बाद मैने अपने ब्‍लोग में ज्‍योतिष में मौजूद अंधविश्‍वासों को तर्क की कसौटी पर कसा, जिनसे पाठकों का ज्ञानवर्द्धन हुआ और मंगला-मंगली, राहू-केतु , कालसर्प-योग, राशिफल , सूर्य या चंद्रग्रहण के दोष आदि का भय और भ्रम समाप्‍त हुआ। ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ के सूत्र किसी के जन्‍मकालीन ग्रहों की शक्ति निकालकर उसके जीवन के उतार चढाव का ग्राफ खींच देते हैं, जिसके हिसाब से कभी परिस्थितियां हमारे नियंत्रण में होती हैं तो कभी हम परिस्थितियों के नियंत्रण में। इन्‍हीं सिद्धांतों का सहारा लेकर उचित ज्‍योतिषीय परामर्श देकर हजारों लोगों को भटकने से बचा सकी हूं । लाखों लोगों ने मेरे ब्‍लॉग को पढा है, प्रतिदिन जीवन से निराश लोगों के फोन और पत्र आते हैं, उनकी जन्‍मकुंडली के हिसाब से उन्‍हें उचित परामर्श देकर उनके जीवन में खुशहाली लाती हूं। अन्‍य ज्‍योतिषियों की तरह पूजा पाठ या किसी प्रकार के रत्‍न धारण करवाने की सलाह देकर उनका कीमती समय और पैसे नष्‍ट नहीं होने देती। उनके समय के अच्‍छे और बुरे होने की जानकारी देकर तदनुरूप कार्यक्रम बनाकर उन्‍हें जीवन जीने में मदद करती हूं।

Women and child department for Astrology 




Change in Life-style by Astrology

5. ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ से समाज को मिलने वाला लाभ ... अंधेरे में चलनेवाले लगभग सभी राहगीर अपने गंतब्य पर पहुंच जाते हैं। बिना घड़ी पहने परीक्षार्थी परीक्षा दे सकते हैं। बिना कैलेण्डर के लोग वर्ष पूरा कर लेते हैं। किन्तु टॉर्च, घड़ी और कैलेण्डर के साथ चलनेवाले लोगों को यह अहसास हो सकता है कि उनका रास्ता कितना आसान रहा। गत्यात्मक दशा पद्धति संपूर्ण जीवन के तस्वीर को इसी तरह स्‍पष्‍ट कर लोगों की मदद करता आ रहा है।
 Contact 
Phone - 08292466723
Email - gatyatmakjyotish@gail.com
7. ब्‍लॉग .... www.sangeetapuri.blogspot.in
8.  पुस्‍तक .. ‘गत्‍यात्‍मक दशा पद्धति : ग्रहों का प्रभाव

About Me

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Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723