2006 में एक 17 बर्षीय मूक बधिर युवती के 3 वर्षीय पुत्र की उसकी गोद में ही हत्या कर दी गयी। युवती बेहद डरी हुई व व्यथित थी इस घटना ने मोनिका को हिलाकर रख दिया। मोनिका ने उस युवती और पुलिस के बीच ट्रांसलेटर का काम किया और न्याय पाने में उसकी सहायता की। इसके साथ ही मोनिका ने अपने पति के साथ मिलकर इंदौर में भारत के पहले " एम पी मूक बधिर पोलिस केंद्र " की स्थापना की और पोलिस कोर्ट व मूक बधिरों के बीच एक ट्रांसलेटर की तरह कार्य करना आरम्भ कर दिया। मध्य प्रदेशमें इस केंद्र के हेल्प लाइन सेंटर स्थापित होने लगे। मोनिका की एक छोटी सी पहल ने बड़ा रूप ले लिया और जल्दी ही लगभग 356 केस रजिस्टर्ड हुए। भारत के लगभग ७८ लाख मूक और बधिर इस सेवा के आरम्भ होते ही लाभान्वित होने लगे। मोनिका को कोर्ट ने व पोलिस ने "साइलेंट लेंगुएज एक्सपर्ट " के रूप में अडॉप्ट कर लिया और सम्प्पूर्ण भारत से उनको पोलिस व कानून की मूक बधिर मामलो से सम्बंधित कार्रवाहियों में सहायता के लिए बुलाया जाने लगा। मोनिका के पति ज्ञानेंद्र ने कोर्ट कचहरी के मामलो में स्वयं को सशक्त बनाने के लिए वकालत कर डाली और मोनिका अब अपने पति की सहायता से मूक बधिर लोगो के केस भी लड़ने लगीं । मूक बधिर लड़कियों के गेंग रेप जैसे मामलो में बहुत बार जान की धमकी मिलने पर भी मोनिका पीछे नहीं हटीं और उनको न्याय दिलवाया।
2010 में मोनिका ने अलीराजपुर से 65 मूक बधिर ढूंढ निकाले जिस जिले की लिट्रेसी मात्र 21% थी। अब मोनिका का उद्देश्य मूक बधिरों की सहायता करना व उनको शिक्षा देना नहीं रह गया था बल्कि वो इन लोगो को समाज में स्थापित भी कर देना चाहती थी। इसलिए उन्होंने भारत सरकार के सामने अन्य भाषाओँ की तरह "साइलेंट साइन लेंगुएज " को भी आधिकारिक तोर पर भारत की अन्य भाषाओँ में शामिल किये जाने की पहल की। उन्होंने वंदे मातरम " राष्ट्रीय गीत को साइन लेंगुएज में मूक व बधिरों के लिए कम्पोज़ किय। साथ ही राष्ट्रीय गीत "जन गन मन " को भी अपने पति श्री ज्ञानेंद्र के साथ मिलकर कमोज किया और प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया। अमिताभ बच्चन ने एक टीवी शो में स्वयं आगे आकर मोनिका व उनके प्रयासों को सराहा और मोनिका के कार्यो से प्रेरणा पाकर मूक बधिरों की साइलेंट लैंग्वेज में उनके लिए गीत प्रस्तुत किया। हर साल मोनिका की आनंद संस्था मूक व बधिर लोगो का एक परिचय सम्मेलन आयोजित करवाती है जो अंधे, मूक व बधिरों को सामान्य वैवाहिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है।
2016 में मोनिका के भागीरथी प्रयासों को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया और मोनिका भारत की प्रथम 100 सशकत महिलाओं में शामिल की गईं। समाज से व सम्पूर्ण राष्ट्र से उनके कार्यो को ढेर सारे सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हुए . मोनिका आज भारत के इन मूक बधिर नागरिकों को उनका सम्मान और पहचान दे देने के लिए अनवरत कार्य कर रहीं हैं। जो कभी मोनिका व उनके प्रयासों का मज़ाक बनते थे आज मोनिका को एक सितारा बनकर चमकते हुए देख रहे हैं।