मै मुलत: रायपुर की निवासी हूँ। अपने परिवार में २ बहन और एक भाई में मै सबसे बड़ी हूँ और घर की हालत बहुत अच्छी नही थी मेरी पढ़ाई कभी दादी कभी बुआ के घर और कभी ताई जी के घर हुई । पढ़ाई तो पहले शादी के लिये की जाती थी कोई अपना सपना नही होता था बस पिता भाई के अनुसार चलते थे। इसी कड़ी में मेरी शादी २० वर्ष की उम्र में हुई तब मात्र B.Sc. (Bio) थी और शादी के बाद बाल्को कोरबा में रहने लगी। ससुराल में पर्दा प्रथा था और थोड़े पुराने ख़्याल के थे, ससुराल का बिल्कुल भी सहयोग नही मिला पर सब का आदर करते हुए मैंने शादी के १० साल के बाद पढ़ाई फिर से शुरु की बच्चों को स्कूल भेज कर पति को आफ़िस भेज कर कम्प्यूटर की पढ़ाई ९० की दशक में शुरु की ।शादी के १० साल के बाद फिर से कम्प्यूटर की पढ़ाई को शुरु करना वह भी बाक़ी ज़िम्मेदारी को निभाते हुए बहुत ही मुश्किल काम था पर नामुमकिन नही था ।इस तरह से पढ़ाई जारी रही लोगों के ताने बाने भी चलती रही। इन सब बातों का मुझ पर नही हुआ कोई असर मै अपना काम करती रही और वे सब अपना ।
इस बीच एक एजेंसी को कम्प्यूटर टीचर की आवश्यकता थी वे मुझे सम्पर्क किये फिर एक कम्प्यूटर दिये और दो स्कूल में पढ़ाना था । हफ़्ते में दो दिन कम्प्यूटर को रिक्शे में ले कर स्कूल जाती और पढ़ा कर वापस कम्प्यूटर को ले कर आती । इस तरह पढ़ना और पढ़ाना जारी रहा । फिर घर के एक छोटे से कमरे में १२ लड़कियों और एक कम्प्यूटर लोन में ले कर क्लास शुरु की मात्र १५० रु महीने का फ़ीस लेकर । इस तरह अपने को और आगे बढ़ाते हुए PGDCPA का कोर्स करने कोरबा जाती जो कि १५ किलोमीटर दूर था कोर्स करते हुए क्लास लेते हुए मार्केट में एक दुकान किराये में लेकर कम्प्यूटर क्लास १९९३ में शुरु की, बाल्को एक छोटी जगह और कम्प्यूटर नया कोर्स होने के कारण बच्चे admission लेने लगे । शटर बंद करने से लेकर क्लास लेने तक का काम अकेली करती फिर धीरे से मेरे द्वारा पढ़ाये विद्धर्थियों ने मेरे यहॉ शिक्षक नियुक्त हुए इस तरह उन्हें रोज़गार मिला । घर के सारे काम बच्चों को पढ़ाना खाना बनाना पढ़ना सब साथ साथ चला।
अब मेरे काम को आगे बढ़ाते हुए ७ स्कूल में कम्प्यूटर के क्लासेस लगाने लगी और ७ टीचर भी रख ली और अब कम्प्यूटर भी सभी स्कूल में लगा लिये। इस तरह से अपने काम को अंजाम देते रहे और इस आदिवासी बाहुल जैसे क्षेत्र में भी कम्प्यूटर की पढ़ाई होने लगी। और ' कम्प्यूटर मैडम' के नाम से जानने लगी। यहॉ के बच्चे छत्तीसगढ़ी बोली जानते थे तो उनको छत्तीसगढ़ी में भी पढ़ाते थे। फिर उनके लिये हिन्दी में पुस्तक भी लिखे ताकि वे आसानी से कम्प्यूटर को सीख सके । ms office , c++ ,Internet , foxpro, tally, VB.net , fundamental , operating system में पुस्तकें हिन्दी में लिखी हूँ । २२ सालों में लगभग १०००० छात्र छात्रायें कम्प्यूटर सीख चुके है जिनमें ७०% छात्रायें ज्ञान अर्जित किये है। कुछ छात्र ज़िला पंचायत, जनपद, स्कूल, देश के कोने कोने में और विदेशों में भी कार्यरत है उन में से कुछ मुझे कहते थे कि आप भी यहॉ विदेश में आज़ाइये पर मैंने उन्हें कहा कि तुम जैसे और बच्चों को तैयार करुंगी और विदेशों और देश में भेजूँगी । मुझे भारत के विकास में योगदान करने का मौक़ा मिला है। हम चाहते है कि कोरबा छत्तीसगढ का नाम देश विदेश में भी रोशन हो।
डिग्रियाँ
• B.Sc. Bio 1983
• PGDCPA 1992-93
• Students के साथ PGDCAका paper दी -1998
• फिर MSc IT -2004-05
• M.Phil (CS) - Jan 2008-Dec 2008
• MBA Major IT Minor HR -2009-2011
• Phd के लिये registered
कार्य
• इस बीच corporate sector में training दी Balco NTPC Audit office Secl SBI नगर निगम के employees को training दी ।
• Collectorate के १२३ employees को free computer training दी ।
• आज से १० साल पहले 'बेटी पढ़ाओ' की सोच को आगे बढ़ाते हुए ५० बच्चियों को भर्ती कराये जो कि slam area की बच्चियॉ थी। आज सभी बच्चे १०वीं पहुँच गयी है।
• उन बच्चों का निःशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण गरमी की छुट्टी में दिया जाता है।
• वाल्मिकी आश्रम के बच्चों को निःशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया गया फिर आश्रम को संस्था द्वारा एक कम्प्यूटर दान किया गया।
• जो बच्चे फ़ीस के कारण नही पढ़ते उनका फ़ीस भी संस्था द्वारा दिया जाता है।
• दिव्यांश बच्चों को भी कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया जाता है।
• दोंदरो गॉव में एक कम्प्यूटर दान किया गया ।
• ज़िला पंचायत में प्रशिक्षण दिया
• जनपद में प्रशिक्षण दिये
• DUDA (District Urban Development Authority)के विद्धर्थियों को प्रशिक्षण
• PMKVY के विद्धर्थियों को प्रशिक्षण
• वृद्धाश्रम को समय समय पर सहयोग करना
• कुआँभट्टा के बच्चों को आवश्यकतानुसार सहयोग करना
उपलब्धियाँ
• वेदांशी सम्मान और १००००/- २०११ में
• नेशनल सेमीनार गलर्स कालेज रायपुर-२०१२ में
• शक्ति विप्र छत्तीसगढ़ महिला मंडल - २०१५ में
• स्वच्छ भारत में योगदान में उत्कृष्ट पुरस्कार - २०१६ में
• राष्ट्रपति के हाथो सम्मानित - २२ जनवरी २०१६ में
उसके बाद सम्मान का सिलसिला चल रहा है।
नाम : साधना शर्मा
दादा जी : श्री माधव प्रसाद तिवारी वक़ील
दादी जी : श्रीमती रुक्मणी तिवारी
पिता का नाम : श्री बालकृष्ण तिवारी
माता का नाम : श्रीमती सुलोचना तिवारी
नाना का नाम : श्री कालिका प्रसाद पांडे
नानी का नाम : श्रीमती झरना पांडे
भाई: संजय तिवारी छोटा भाई navy
बहन: स्व सुपर्णा गौण छोटी बहन
जन्म तिथि : २५.९.१९६२
विवाह की तिथि : १५.५.१९८३
पति : श्री भूपेन्द्र शर्मा
बेटा : सौभिक शर्मा (बी.ई. मैकेनिकल एम.बी.ए.)
जॉब : Hilti swiss company in banglore
बहू : नुपूर (बी.ई. सी.एस.)
जॉब : cognizant banglore
बेटी : सुरभि शर्मा (बी.डी.एस.)
जॉब : researcher in California (U.S.A.)
दामाद : सचिन (IIT Hydrabad)
जॉब : Walt Disney in California
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